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इजरायल को खुला समर्थन दे कर पीएम मोदी ने देश की विदेश नीति को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है. भारत के इस फैसले ने दुनिया और देश को 5 संदेश दिया है.

इजरायल को खुला समर्थन दे कर पीएम मोदी ने देश की विदेश नीति को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है. भारत के इस फैसले ने दुनिया और देश को 5 संदेश दिया है.

आतंकवाद से पीड़ित एक देश के साथ मजबूती से खड़ा होकर देश ने यह संदेश दिया है कि यह नया भारत है जो दुनिया में किसी के दबाव में नहीं आता है.मौका पड़ने पर तटस्थ हो जाएगा जैसा रूस-यूक्रेन युद्ध में किया और अगर जरूरत हुई तो लाख खतरों के बावजूद किसी पीड़ित देश के साथ मजबूती से खड़ा भी रहेगा. आज का भारत जानबूझकर या मजबूरी में किसी गुट के साथ रहने वाला देश नहीं है. शायद यही कारण है कि फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास से जारी जंग के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बात करने का समय निकाला. हमास के शुरूआती हमलों के समय ही पीएम मोदी ने कहा था कि इजरायल पर हुए आतंकी हमलों से वो स्तब्ध हैं. हमारी संवेदनाएं मृतकों के परिवार के साथ हैं. प्रधानमंत्री ने  ने जिस तरह से अपना स्टैंड क्लीयर किया है इससे दुनिया भर में देश की धाक बढ़ी है.1- वोटबैंक के लिए आतंकवाद नजरअंदाज नहीं होगापीएम मोदी ने इजरायल का खुलकर साथ देने का जो फैसला किया है उसका सबसे बड़ा संदेश है कि आतंकवाद पर दुनिया को अपना रवैया क्लीयर करना होगा. दुनिया की महाशक्तियों को भी आतंकवाद पर दोहरी नीति से बाहर आना होगा. अब जब देश हमास का विरोध कर रहा है तो निश्चित तौर पर देश में भी कुछ आतंकवादी संगठन सक्रिय हो सकते हैं. जिस तरह आईएस के समय हुआ था. भारत का यह संदेश अपने देश के लिए भी है कि भारत आतंकवाद को लेकर किसी भी तरह का ढुलमुल रवैया नहीं अपनाएगा. हमारी सेना और हमारी सुरक्षा व्यवस्था इतनी सक्षम है कि चाहे क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म हो या देश के अंदर से पैदा होने वाले खतरे, हम सबको कुचलने में सक्षम हैं. हम किसी भी कीमत पर वोट बैंक के लिए आतंकवाद को नजरअंदाज नहीं करेंगे. आतंकवाद नेस्तनाबूद करने के लिए जरूर होगा तो अलोकप्रिय फैसले भी लेंगे.देश कई दशकों पुराने उस भूल को सुधार भी रहा है जब कि इस्लामिक भाईचारे के समर्थन के चलते फिलिस्तीन संघर्ष समिति को भारत ने मान्यता दिया था और इजरायल से दूरी बना रखी  थी.पीड़ित इजरायल का साथ देने पर 'गुटबंदी' का ओराप लगता है तो लगेयह देश और दुनिया के लिए संदेश है कि भारत आज अपने फैसले खुद लेता है. हमने यूक्रेन में किसी का साथ न देकर यह दिखाया था. अब इजरायल के साथ खड़े होकर भी दिखा दिया कि मौका पड़ने पर हम किसी के साथ मजबूती से खड़े भी हो सकते हैं.हम ईस्ट या वेस्ट में नहीं पड़ते, जरूरत होने पर किसी के साथ भी हो सकते हैं. भारत को आज किसी महाशक्ति के नाराजगी का खतरा नहीं है.देश एकजुट है और देशहित में हर तरह के फैसले लेने में सक्षम है. हमें न रूस की चिंता है और न ही अमेरिका की. हम नैतिक रूप से जरूरी होने पर किसी के साथ खड़े हो सकते हैं. हो सकता है कि इजरायल का साथ देने पर भारत पर वेस्ट के साथ गुटबंदी का आरोप लगे. पर भारत ने यूक्रेन मुद्दे पर बार-बार वेस्ट के खिलाफ यूएन में वोटिंग से दूर रहकर यह साबित किया है कि भारत किसी भी तरह की गुटबंदी में शामिल नहीं है. भारत की इस साफगोई ने इजरायल को कायल कर दिया है. भारत में इजरायल के दूतावास के इस ट्वीट से उनकी भावना समझी जा सकती है-धन्यवाद भारत! आप सब से पिछले 4 दिन में मिले अटूट प्यार और समर्थन से हम अभिभूत हैं।हम आपको बताना चाहते हैं कि हम आप सब को व्यक्तिगत रूप से चाहे जवाब न दे पा रहे हों पर हम आपके स्नेह और समर्थन पूर्ण सब संदेशों को पढ़ रहे हैं।आतंकवाद से इस लड़ाई में हम जरूर जीतेंगे। 

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